राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA): भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

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                            राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत सरकार द्वारा चलाई गई एक महत्वपूर्ण योजना है जो देश के नागरिकों को खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न प्रदान करने का उद्देश्य रखती है। इस योजना के माध्यम से, सरकार ने भूखे पेट लोगो को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने का प्रयास किया है और देश की जनसंख्या के खाद्यान्न की उपलब्धता और पहुंच में सुधार किया है। इस लेख में, हम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

 

   राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) क्या है?

 

                            राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक राष्ट्रीय योजना है जिसका उद्देश्य देश की जनसंख्या को उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न प्रदान करने के साथ-साथ उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने भूखे पेट लोगो को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य रखा है और देश में उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की पहुंच में सुधार किया है।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के प्रमुख लक्ष्य :-

 

1.  अनाज के सब्सिडी रेट :- 

                                राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत, सरकार ने अनाज के सब्सिडी रेट की स्थायी बढ़ोतरी की है जिससे गरीब लोगों को खाद्यान्न खरीदने में मदद मिलती है। इससे उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की पहुंच मिलती है और उनकी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

 

2.  खाद्यान्न की उपलब्धता में सुधार :-

                                राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत, सरकार ने खाद्यान्न की उपलब्धता में सुधार किया है और उसे उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न से सुपुर्द किया है। इससे भूखे पेट लोगो को खाद्य सुरक्षा से जोड़ा जा सकता है और उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की पहुंच मिलती है।

 

3.  खाद्य सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी :-

                                राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत, सरकार ने खाद्य सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी ली है और उसे लागू करने के लिए संबंधित अधिकारियों को नियुक्त किया है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

 

सारांश :-

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारतीय नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है जो उच्च-गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की पहुंच में सुधार करती है और देश में भूखे पेट लोगो को खाद्य सुरक्षा से जोड़ने का प्रयास करती है। इससे लोगों को खाद्यान्न की उपलब्धता में सुधार होता है और उन्हें खाद्य सुरक्षा के लिए संरक्षित महसूस कराया जाता है।

        राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके द्वारा सरकार गरीब और वंचित वर्गों के लोगों को सस्ते और उचित मूल्य पर खाद्यान्न प्रदान करने का प्रयास कर रही है। यह अधिनियम साबित होता है कि सरकार किसानों के भविष्य की चिंता कर रही है और उन्हें उनके विभिन्न आर्थिक संकटों से बचाने का प्रयास कर रही है। इसके तहत खेती करने वाले किसानों को विभिन्न बीमा योजनाओं का लाभ भी मिलता है, जिससे उन्हें अपने खेती व्यवसाय को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। इससे सिर्फ खेती में सुधार होगा, बल्कि देश के गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा और उन्हें आर्थिक सुरक्षा का अनुभव होगा।

 

FAQs

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 क्या है ?

                        भारत में खाद्य सुरक्षा का महत्वपूर्ण संविधान है "राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013". यह अधिनियम भारतीय नागरिकों को सस्ते और उचित मूल्य पर खाद्यान्न प्रदान करने का उद्देश्य रखता है और उन्हें भूखमरी और अपभ्रंश के खतरे से बचाना है। इस लेख में, हम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की महत्वपूर्ण विशेषताओं, इसे कब और कैसे लागू किया गया, और इसके तहत प्राप्त लाभों और सुविधाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम की शुरुआत की घोषणा किसने की?

                         2013 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया था। इस अधिनियम के लागू होने से पहले, भारत में खाद्य सुरक्षा के नियम और अधिकार विभिन्न राज्यों के अनुसार थे, जिससे विभिन्न असमंजस और समस्याएं उत्पन्न होती थीं। इसलिए इसे एक समान और समरस्थ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के रूप में लागू करने का फैसला किया गया था।

 

खाद्य सुरक्षा के लिए कौन पात्र है?

        खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, निम्नलिखित वर्गों के लोग खाद्यान्न के लिए पात्र माने जाते हैं:

 

अन्तोदय राशन कार्ड (Antyodaya Ration Card) धारक

            इस कार्ड के धारक वित्तीय रूप से कमजोर होते हैं और उन्हें खाद्यान्न की सब्सिडी प्राप्त करने का अधिकार होता है।

 

बीपीएल राशन कार्ड (Below Poverty Line Ration Card) धारक

          इस श्रेणी में आने वाले लोगों का आय सीमा काफी कम होती है और उन्हें भी सस्ते रेट पर खाद्यान्न मिलता है।

 

एपीएल राशन कार्ड (Above Poverty Line Ration Card) धारक

                यह कार्ड उन लोगों के लिए होता है जिनकी आय अन्य राशन कार्ड धारकों की आय सीमा से अधिक होती है। ये लोग सस्ते रेट पर खाद्यान्न खरीद सकते हैं, लेकिन सब्सिडी नहीं प्राप्त करते।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में कितनी अनुसूचियां हैं?

                भारत के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 में कुल 22 अनुसूचियां हैं, जिनमें खाद्य सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रावधान शामिल हैं। यह अनुसूचियां खाद्यान्न की सब्सिडी, आवंटन, गुणवत्ता नियंत्रण, और अन्य पहलुओं को संबोधित करती हैं।

 

खाद्य सुरक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

            राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के मुख्य उद्देश्य हैं:

 

  •             सस्ते और उचित मूल्य पर खाद्यान्न प्रदान करना।
  •             भूखमरी, मलन्नता और अपभ्रंश से बचाना।
  •             खाद्यान्न की सब्सिडी के माध्यम से गरीब वर्गों को सहायता प्रदान करना।
  •             खाद्यान्न के सब्सिडी बजट को नियंत्रित करना और खर्च को कम करना।
  •             सभी लोगों को अच्छे और स्वस्थ खाद्य से लाभान्वित होने का अधिकार सुनिश्चित करना।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कौन सा राज्य शीर्ष पर है?

                    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार, चांदीगढ़ राज्य इस अधिनियम के लागू होने के समय शीर्ष पर है। चांदीगढ़ राज्य ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए एक उदार नजरिए का उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो अधिनियम के लागू होने के बाद अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बना।

 

 खाद्य सुरक्षा संकेतक क्या हैं?

                खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार, निम्नलिखित 4 खाद्य सुरक्षा संकेतक हैं:

  •      अन्तर्गत व्यक्ति: इसका मतलब है कि अधिकृत खाद्यान्न वितरकों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को सब्सिडी देनी होगी।
  •     राशन कार्ड: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय राशन कार्ड के निर्धारित अनुसूचियों का उपयोग किया जाएगा।
  •     खाद्य सुरक्षा यातायात के लिए एकीकृत रसीद: इस संकेतक के तहत खाद्य सुरक्षा के तहत वितरण होने वाले खाद्यान्न के लिए उचित मूल्य पर भुगतान की जानकारी दी जाएगी।
  •     खाद्य सुरक्षा पोर्टल: खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सुरक्षा पोर्टल को स्थापित किया गया है जिसके माध्यम से खाद्य सुरक्षा के तहत सब्सिडी और अन्य लाभों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकती है।

 

खाद्य सुरक्षा के लिए कौन कौन से डॉक्यूमेंट चाहिए?

            खाद्य सुरक्षा के तहत खाद्यान्न का लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित डॉक्यूमेंटों की आवश्यकता होती है:

 

  • राष्ट्रीय राशन कार्ड: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राष्ट्रीय राशन कार्ड का उपयोग खाद्यान्न की सस्ती सब्सिडी के लिए किया जाता है। यह कार्ड गरीब और वंचित वर्गों को खाद्यान्न की सस्ती सब्सिडी प्राप्त करने का अधिकार देता है।

 

  • आधार कार्ड: आधार कार्ड खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लिए एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है। आधार कार्ड के माध्यम से व्यक्ति की पहचान होती है और उन्हें सब्सिडी और खाद्यान्न खरीदने के लिए पहचान प्रमाणित करने में मदद मिलती है।

 

  • आय प्रमाण पत्रखाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सस्ते रेट पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए आय प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। इसमें व्यक्ति की आय से संबंधित जानकारी होती है जिससे उन्हें सब्सिडी का अधिकार मिलता है।

 

  • पासपोर्ट आकार का फोटो: खाद्य सुरक्षा के तहत खाद्यान्न का लाभ प्राप्त करने के लिए एक पासपोर्ट आकार की फोटो की आवश्यकता होती है। यह फोटो राशन कार्ड या अन्य खाद्य सुरक्षा संबंधित दस्तावेजों में उपयोग की जाती है।

 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम कौन सा मंत्रालय लागू करता है?

            राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 का प्रबंधन भारत सरकार के खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य खाद्य सुरक्षा से संबंधित नीतियों को बनाना, संशोधित करना, और उनका पालन-पोषण करना होता है। इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को संचालित किया जाता है, जिससे गरीब और वंचित वर्गों को सस्ते और उचित मूल्य पर खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार मिलता है।

 

भारत में खाद्य सुरक्षा बीमा कैसे होता है?

            भारत में खाद्य सुरक्षा बीमा खेती करने वाले किसानों को विभिन्न आपदा और नुकसानों से सुरक्षित करने के लिए प्रदान किया जाता है। यह बीमा उनके लिए एक आर्थिक सुरक्षा उपाय साबित होता है जिससे वे अपनी फसलों के खोने की स्थिति में भी अपने परिवार को धारण कर सकते हैं। खाद्य सुरक्षा बीमा बाजार द्वारा बीमा कम्पनियों के माध्यम से प्रदान किया जाता है और यह खेती करने वाले किसानों के लिए उपलब्ध होता है।

 

खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए क्या करना पड़ता है?

            खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए व्यक्ति को अपने नजदीकी खाद्यान्न विभाग में जाकर आवेदन करना पड़ता है। आवेदन करने के लिए व्यक्ति को अपने पहचान प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, और एक पासपोर्ट आकार की फोटो साथ ले जाना होता है। इन दस्तावेजों के साथ, व्यक्ति को एक आवेदन पत्र भी भरना पड़ता है जिसमें उनकी जानकारी और अन्य आवश्यक जानकारी देनी होती है। इसके बाद, व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा के अनुसार उनके नाम का विवरण रजिस्टर किया जाता है और उन्हें खाद्यान्न खरीदने के लिए योग्य बना दिया जाता है।

 

भारत में राशन कार्ड कितने प्रकार के होते हैं?

            भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार, राशन कार्ड विभिन्न प्रकार के होते हैं और इन्हें नीचे दिए गए तहत वर्गीकृत किया जाता है:

 

  •  एपीएल (अन्त्योदय राशन कार्ड): यह कार्ड देश के सबसे गरीब वर्ग के लोगों को दिया जाता है जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं। इन लोगों को खाद्यान्न की सब्सिडी बिल्कुल सस्ते दर पर उपलब्ध कराई जाती है।

 

  •  बीपीएल (बीएल राशन कार्ड): यह कार्ड वे लोग प्राप्त करते हैं जो आर्थिक रूप से अधिकतम बढ़िया लेकिन अधिक कमजोर नहीं होते हैं। इन लोगों को भी खाद्यान्न की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।

 

  •  एपीएएल (एटीपी राशन कार्ड): इस कार्ड का उपयोग अन्त्योदय राशन कार्ड और बीपीएल राशन कार्ड के बाद किया जाता है। इसमें सभी आर्थिक वर्गों के लोगों को खाद्यान्न की सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन इसमें और अधिक आय के लोगों को भी सस्ते दर पर खाद्यान्न मिलता है।

 

फसलों का बीमा कौन करता है?

            फसलों का बीमा भारत सरकार द्वारा किया जाता है, जिससे किसानों को विभिन्न आपदा और नुकसानों से सुरक्षित किया जा सकता है। यह बीमा किसानों को उनकी फसलों के नुकसान से संबंधित आर्थिक हानि से बचाने का एक आपातकालीन उपाय साबित होता है। इसमें विभिन्न फसलों जैसे कि धान, गेहूं, जौ, और अनाज को शामिल किया जाता है और यह व्यक्ति के भाविष्य को सुरक्षित करने में मदद करता है।

 

बीपीएल और अंत्योदय कार्ड में क्या अंतर है?

 

            बीपीएल (बीएल राशन कार्ड) और अंत्योदय राशन कार्ड (एपीएल) में कुछ अंतर हैं। ये दोनों ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें विभिन्न आर्थिक वर्गों के लोगों को सस्ते रेट पर खाद्यान्न प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता है। बीपीएल कार्ड उन्हें दिया जाता है जो आर्थिक रूप से अधिकतम बढ़िया लेकिन अधिक कमजोर नहीं होते हैं, जबकि अंत्योदय राशन कार्ड उन्हें दिया जाता है जो देश के सबसे गरीब वर्ग के लोग होते हैं। इसके अलावा, बीपीएल राशन कार्ड के अधिकांश लाभार्थियों को अधिक सब्सिडी दी जाती है जबकि अंत्योदय राशन कार्ड वालों को सब्सिडी बिल्कुल सस्ते दर पर प्रदान की जाती है।

 

 


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